14 February 2009

ग़ज़ल - "मुहब्बत करने वाले खूबसूरत लोग होते हैं"

आप सभी को नमस्कार, 

एक महीने बाद कुछ लिखने बैठ रहा हूँ ब्लॉग पे, क्षमा चाहता हूँ. मगर व्यस्तता ही कुछ ऐसी थी और है भी की समय ही नही मिल पा रहा था. गुरु जी भी नाराज़ थे की मैंने कोई पोस्ट नही लगाई, इसी एक महीने में काफी अच्छा अनुभव मिला, जिनमे से एक था अपने आप में अनूठे ऑनलाइन कवि सम्मलेन-मुशायेरे में काव्य पाठ करना और तरही मुशायेरे में मेरे शेर का हासिल-ऐ-मुशायरा शेर बन जाना.

उसी ग़ज़ल से आपको रूबरू करवाता हूँ, जब गुरु जी ने ये मिसरा दिया था "मुहब्बत करने वाले खूबसूरत लोग होते हैं" तो मैं तो कोई मोहब्बत भरी ही ग़ज़ल लिख देता. मगर एक बार गुरु जी से फ़ोन पे बात हुई थी तो गुरु जी ने कहा था की "अंकित, समाज में जो घटित हो रहा है उसे लिखने की कोशिश करो, वही बात दिमाग में थी, इसलिए ख्याल भी उसी दिशा में आए और शेर भी वही सोच के लिखे.

खुशी में साथ हँसते हैं, ग़मों में साथ रोते हैं.
मुहब्बत करने वाले खूबसूरत लोग होते हैं.


नशे में चूर गाड़ी ने किया यमराज से सौदा,
नही मालूम दौलत को सड़क पे लोग सोते हैं.


कभी हर्षद, कभी केतन, कभी सत्यम करे धोखा,
मगर इन चंद के कारन सभी विश्वास खोते हैं.


महज़ वो कौम को बदनाम करते हैं ज़माने में,
जो बस जेहाद के जरिये ज़हर के बीज बोते हैं.


ये सारा खेल कुर्सी का समझ में आएगा सब के,
ये नेता झूठ हँसते हैं, ये नेता झूठ रोते हैं.


हमारे शहर घर पे बढ़ गए आतंक के हमले,
ये गुस्सा भी दिलाते हैं, ये पलकें भी भिगोते हैं.

आखिरी में आप सभी का शुक्रिया जिनका प्यार और आशीर्वाद मुझे मिलता रहा है और आशा करता हूँ की आगे भी मिलता रहेगा. जल्द ही एक नई ग़ज़ल के साथ हाज़िर होता हूँ..................