10 September 2014

ग़ज़ल - किसी कमीज़ के कॉलर बटन से होते हैं

… कुछ शेर ऐसे होते हैं जिनके हो जाने के बाद, दिल और मन का हर एक कमरा रौशन हो उठता है। खुली खिड़कियों से जब वो सपनीले शेर छन से ग़ज़ल की ज़मीन पर उतरते हैं तो ग़ज़ल एक नये आसमान को देखती है।



किसी कमीज़ के कॉलर बटन से होते हैं
दिलों के मसअले नाज़ुक बदन से होते हैं

निगाह पड़ते ही यादों के दश्त में गायब
पुराने ख़त के फ़साने हिरन से होते हैं

हमारे जिस्म में नीदें उड़ेल देती है
हमें तो रोज़ ही शिकवे थकन से होते हैं

मुहब्बतों के सिरे ढूँढने पे पाओगे
तमाम रिश्ते फ़क़त अपनेपन से होते हैं

बदलती रहती हैं पल-पल में ख़्वाहिशें दिल की
दिलों के फैसले बच्चों के मन से होते हैं

हरेक रिश्ता बनाना हमारी हद में नहीं
कुछ एक रिश्ते तो पैदा जलन से होते हैं