25 January 2016

ग़ज़ल - लौटती हर सदा बताती है


लौटती हर सदा बताती है
आसमां तक पुकार जाती है

एक तस्वीर पर्स में मेरे
देखता हूँ तो मुस्कुराती है

क्यूँ ये दिल मुँह फुलाये बैठा है?
एक धड़कन इसे बुलाती है

प्यार की एक दुखती रग दिल को
हाँ, बहुत ज़ोर से दुखाती है

मुझ पे ठहरी निगाह इक तेरी
कोई मंतर सा बुदबुदाती है

हम हक़ीक़त से मिल नहीं पाते
उम्र ख़्वाबों में बीत जाती है

साथ अपनों के जब भी होता हूँ
ज़िन्दगी क्यूँ मुझे डराती है

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Pebble Art by Sharon Nowlan