वक़्त तेरे जब आने का हो जाता है
दीवाना… और दीवाना हो जाता है
आँखें ही फिर समझौता करवाती हैं
नींद से जब मेरा झगड़ा हो जाता है
ख़ुश्क निगाहें, बंजर दिल, रेतीले ख़्वाब
देख मुहब्बत में क्या-क्या हो जाता है
एक ख़याल ख़यालों में पलते-पलते
रफ़्ता-रफ़्ता अफ़साना हो जाता है
चंद बगूले यादों के उड़ते हैं और
धीरे-धीरे सब सहरा हो जाता है