चाँद खिलौना तकते थे।
जब यारों हम बच्चे थे।
रिश्तों में इक बंदिश है,
हम आवारा अच्छे थे।
डांठ नही माँ की भूले,
जब बारिश में भीगे थे।
कुछ नए शेर जोड़ रहा हूँ....................................
पास अभी भी हैं मेरे,
तुने ख़त जो लिक्खे थे।
ठोकर खा के जाना है,
बात बड़े सच कहते थे।
यार झलक को हम तेरी,
गलियों-गलियों फिरते थे।
उसने ही ठुकराया है,
हम उम्मीद में जिनसे थे।
जब यारों हम बच्चे थे।
रिश्तों में इक बंदिश है,
हम आवारा अच्छे थे।
डांठ नही माँ की भूले,
जब बारिश में भीगे थे।
कुछ नए शेर जोड़ रहा हूँ....................................
पास अभी भी हैं मेरे,
तुने ख़त जो लिक्खे थे।
ठोकर खा के जाना है,
बात बड़े सच कहते थे।
यार झलक को हम तेरी,
गलियों-गलियों फिरते थे।
उसने ही ठुकराया है,
हम उम्मीद में जिनसे थे।
9 comments:
चिन्ता न थी कोई फिकर।
हम बच्चे थे तो अच्छे थे।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
बहुत ही सुंदर लिखा है आपने.इसे थोड़ा और विस्तार दीजिये,बहुत बढ़िया रहेगा..
kam shbdon mai kafi kuch piro diya
वाह अंकित ...क्या बात है भई...सुभान्ल्लाह
तीनों शेर लाजवाब...और तो जोड़ा होता
waah bahut sundar
रिश्तों में एक बंधिश है
हम आवारा अच्छे थे
भाई अंकित क्या बात है...वाह...बेहतरीन शेर...लाजवाब...बधाई...ऐसा शेर बरसों में निकल कर आता है...
नीरज
आप सभी को मेरा नमस्कार,
-श्यामल सुमन जी बहुत ही सुंदर शेर कहा है आपने, क्या कहने. बचपन के बारे में जितना कहो कम है.
-रंजना जी, मैंने चार नए शेर जोड़े है.
-मनविंदर जी शुक्रिया,
-गौतम जी, आपकी शिकायत को दूर करने की कोशिश की है चार नए शेर जोड़ के.
-महक जी शुक्रिया.
-नीरज जी, वो शेर मुझे भी सबसे अच्छा लगा. आपका और गुरु जी का आशीर्वाद हमेशा साथ रहे यही कामना करता हूँ.
सुन्दर!
बेहतरीन बहुत बेहतरीन कहा है आपने अंकित जी बहुत-बहुत बधाई
Post a Comment