रात दिन ख़यालों में इक अजब खुमारी है।
नींद हमसे रूठी है, करवटों की क्यारी है।
जैसे तुम नज़र में हो, जिंदगी में आ जाओ,
राह तेरी देखे जो रूह वो बेचारी है।
ढूँढता क्यों रहता है, ख़ुद को मेरी आंखों में,
तेरे बारे में कहती हर ग़ज़ल हमारी है।
नींद हमसे रूठी है, करवटों की क्यारी है।
जैसे तुम नज़र में हो, जिंदगी में आ जाओ,
राह तेरी देखे जो रूह वो बेचारी है।
ढूँढता क्यों रहता है, ख़ुद को मेरी आंखों में,
तेरे बारे में कहती हर ग़ज़ल हमारी है।
4 comments:
ढूँढता क्यों रहता है, ख़ुद को मेरी आंखों में,
तेरे बारे में कहती हर ग़ज़ल हमारी है। ....
pyaar ki khubsurat bhasha,bahut sundar
हिन्दी चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है. नियमित लेखन के लिए मेरी हार्दिक शुभकामनाऐं.
वर्ड वेरिपिकेशन हटा लें तो टिप्पणी करने में सुविधा होगी. बस एक निवेदन है.
इसी तरह गजलें कहते रहिए। जब आंखों में चांद दिख जाए तो उन गलियों में भी देखिए जहां अनेकानेक चांद दो जून की रोटी के लिए संघर्षरत हैं।
bahut acche chele bahut acche
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