समेटो रौशनी अभी चिराग, बुझने के लिए।
उजाले आफताब के खड़े उलझने के लिए।
मुकम्मल तुम करो अभी यहीं पे लड़ के हार को,
हमारे हौसले जवाब हैं, समझने के लिए।
उजाले आफताब के खड़े उलझने के लिए।
मुकम्मल तुम करो अभी यहीं पे लड़ के हार को,
हमारे हौसले जवाब हैं, समझने के लिए।
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