02 October 2008

बापू के लिए ...............

वक्त की सिलवट में रहे माज़ी की खुशबू।
आज भी ताज़ा सी है, आज़ादी की खुशबू।
महकता है हिंदोस्ता, जब महकती है,
अनगिनत वीरों और एक गाँधी की खुशबू।

4 comments:

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत बढिया मुक्तक है।

गाँधी जयंति की बहुत-बहुत बधाई।

गौतम राजऋषि said...

बधाई हो अंकित जी----पहले तो गुरूजी की कक्षा मेम शामिल होने के लिये और फ़िर इअतनी सुम्दर गज़ल सुनाने के लिये.
और ये मुक्तक तो वाकई लाजवाब है

वीनस केसरी said...

आपका हार्दिक स्वागत है गुरु जी की क्लास में

लिखते रहिये

वीनस केसरी

योगेन्द्र मौदगिल said...

शुभकामनाएं................................................................................................................................................................