आप सबको मेरा नमस्कार................
काफी दिनों के बाद एक ग़ज़ल लगा रहा हूँ, कुछ व्यस्तताओं में घिरा हुआ था मगर अब कोई शिकायत का मौका नही दूंगा।
बहरे रमल मुसद्दस महजूफ (२१२२-२१२२-२१२)
काफी दिनों के बाद एक ग़ज़ल लगा रहा हूँ, कुछ व्यस्तताओं में घिरा हुआ था मगर अब कोई शिकायत का मौका नही दूंगा।
बहरे रमल मुसद्दस महजूफ (२१२२-२१२२-२१२)
अब के जब सावन घुमड़ कर आएगा।
दिल पे बदली याद की बरसाएगा।
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मन से अँधियारा मिटेगा जब, तभी
अर्थ दीवाली का सच हो पायेगा।
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दूसरे की गलतियाँ तो देख ली,
ख़ुद को आइना तू कब दिखलायेगा।
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अपने बारे में किसी से पूछ मत,
कोई तुझको सच नही बतलायेगा।
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धुन में अपनी चल पड़ा पागल सा है,
दर बदर अब मन मुझे भटकायेगा।
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गर्दिशों में छोड़ देंगे सब तुम्हे,
प्यार माँ का संग चलता जाएगा।
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वोट जब मन्दिर के मुद्दे पर मिलें,
कौन मुदा भूख का भुनवायेगा।
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खिलखिला कर कैसे हँसतें हैं भला,
अब तो बच्चा ही कोई सिखलाएगा।
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ये जो हैं आतंकवादी जानवर,
कौन मानवता इन्हे सिखलाएगा।
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तीन रंगों पर लगेगा दाग एक,
भूख से बच्चा जो चूहे खायेगा।
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हम भी सुन कर के चले आए "सफ़र",
आज वो गज़लें हमारी गायेगा.
(गुरु जी के आशीवाद से कृत ग़ज़ल)
12 comments:
एक-एक शेअर महकता हुआ फूल है
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चाँद, बादल और शाम
गुलाबी कोंपलें
बेहतरीन!!!
सच कहते हैं,काबिलियत उम्र की मोहताज़ नहीं होती........तुम्हारी यह ग़ज़ल इसकी मिसाल है.....
शाबाश !!! ऐसे ही लिखते रहो हमेशा.....बहुत बेहतरीन ग़ज़ल....हरेक शेर एक से बढ़कर एक...
अंकित मजा आ गया ग़ज़ल पढ़कर । और आपका प्लेसमेंट हो जाने की बधाई । आशा है दूसरा प्लेसमेंट ( शादी) भी जल्द होगा अब ।
वोट जब मंदिर के मुद्दे.....और खिलखिलाकर...दोनों बेहतरीन शेर हैं....लाजवाब ग़ज़ल है ..बहुत अच्छी....बधाई...
नीरज
वाह!
घुघूती बासूती
बहुत ही उम्दा.......
lajawab gazal
पहले से लेकर आखिरी तक हर शेर लाजवाब। खूबसूरत गज़ल।
वाह अंकित...पहले तो इतने दिनों बाद आये हो इसकी बधाई और गुरू जी की टिप्पणी से पता चल गया कि प्लेसमेंट भी हो गया और फिर इतनी जबरदस्त ग़ज़ल के साथ आये हो...
तो कितनी बधाईयाँ लोगे...
गुड है जी!
हर एक शेर बेहतरीन है...बहुत बढ़िया लिखा है. और प्लेसमेंट हो जाने की बधाई.
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