04 June 2010

मानसून का advertisement

मुंबई में मानसून का प्रचार अभियान (हल्की फुल्की फुहारें) शुरू हो गया है, वैसे ये बताता चलूँ कि 'मानसून' से मतलब मानसून से ही है जग मुंधरा जी की फिल्म से नहीं है, ....................ये वो है जिसके बारे में मौसम विभाग कभी सही नहीं बता पाया इसलिए इस बार शायद उन्होंने कुछ ना कहने की सोची होगी तभी तो कोई सूचना या भविष्यवाणी सुनने को नहीं मिली. वैसे वो खामोश तो नहीं रहते और न होंगे उनकी आदत तो ऐसी नहीं थी ना है और ना होगी, हो सकता है मैंने ही उन की कही बातों पे गौर करना बंद कर दिया हो, जाने-अनजाने में.........चलो खैर जो भी हो.

एक अदद गर्मी के बाद, शायद रिकॉर्ड बना चुकी गर्मी, ऊपर से ये उमस उफ्फ्फ्फ़, (इसका ज़िक्र किये बिना गर्मी का नाम और काम अधूरा ही होगा)......शरीर से सब कुछ निचोड़ के चेहरे पे कुछ बूंदों की शक्ल में रख देती है, वैसे एक हल्की फुहार भी कुछ ऐसी ही बूंदे छोड़ देती है मगर दोनों में कितना अंतर है एक समानता होते हुए भी बिलकुल सुख-दुःख की तरह.

कल शाम जो बादल आसमान के आँचल में किसी फूल से सजे हुए थे, शाम ढलते-ढलते, रात में ना जाने क्या सोच के कुछ शरारत कर गए, लोगों के दिलों में कुछ उमीदें बरसा गए. मैंने भी बाहर जाके ख़ुद को भिगोना चाहा, कुछ बूंदों ने चेहरे को चूमा भी मगर शायद आवारा हवा को मेरी ये आवारगी अच्छी नहीं लगी और वो बादलों को उड़ा ले गयी. चलो जो कुछ ना से कुछ तो सही, छोटा-मोटा ही सही मानसून का premiere तो देख ही लिया..........वैसे केरल में तो फिल्म लग चुकी है, हफ्ते दो हफ्ते में अपने यहाँ भी लगने की उम्मीद है फिर भीगेंगे फुर्सत से.......

10 comments:

संजय कुमार चौरसिया said...

avashya har shahar main lagegi monsoon

http://sanjaykuamr.blogspot.com/

kshama said...

Monsoon ka trailor tha yah to! Dekhte hain,poori film kaisi ban padti hai!

Udan Tashtari said...

जल्द आ रहा है: आपके शहर में मानसून!!

दिन में चार शो!! :)

Vinay said...

वाह क्या बात है!!

दिलीप said...

sundar

नीरज गोस्वामी said...

प्रिय अंकित, मानसून के अड्वरटाईजिंग का वर्णन भी तुम्हारी शायरी की तरह ही दिलकश है...बहुत आनंद आया पढ़ कर...अगर जी खोल कर भीगने का दिल करता है तो दो हफ्ते बाद खोपोली चले आना...इतना भीगोगे के अगले पांच साल तक भीगने का नाम भी नहीं लोगे...
मानसून मीरा नायर की नहीं जग मूंधड़ा की घटिया फिल्मों में से एक है जिसकी वी.सी.डी.दुर्भाग्य से मेरे पास है...:))
नीरज

Pawan Kumar said...

बहुत सही.......आमद जब होगी तब होगी मानसून की....फिलहाल तो उसके आने की आहट हमने आपकी पोस्ट के सहारे जान ली....... हमें भी मानसून का बेसब्री से इन्तिज़ार है !

सर्वत एम० said...

मैं एक दम पहली बार इस ब्लॉग पर आया हूँ. आने की वजह यह रही कि कुछ बन्दों ने नाक में दम कर दिया था कि एक बार 'अंकित सफर' के ब्लॉग पर जरूर जाएं, लिहाज़ा आना ही पड़ा. आते ही मानसून का विज्ञापन मिल गया, थोड़ा मन को राहत मिली. सीहोर की तस्वीरें भी देखीं जो अर्श और वीनस के सौजन्य से पहले भी देख चुका हूँ. लेख आपने बहुत सलीके और करीने से लिखा, मुझे पूरा पढ़ना पड़ा.
आप सोचते होंगे जाने कौन बन्दा है, पहली बार आया और बकवास किए जा रहा है. लिहाज़ा, रुखसत लेता हूँ और शायद जल्द ही हम फिर मिलें. ठीक!!

योगेन्द्र मौदगिल said...

इधर भी हल्के-फुल्के बादल नज़र आ रहें हैं... हरियाणवी में बोले तो.... बद्दलचाल होरी सै..

Ankit said...

ताज़ा खबर ये है कि मुंबई में कल रात और आज सुबह मानसून लगी थी.
@ नीरज जी, दो हफ्ते से पहले ही बारिश शुरू हो जाएगी ऐसा लग रहा है.
@ सर्वत, आप इन कुछ बन्दों के चक्कर में मत पड़ा कीजिये, कुछ भी कह देते हैं ये बन्दे. 'कौन बंदा' नहीं सोचा मैंने, मैं तो आपको जानता भी हूँ और पढता भी हूँ.
@ यौगेन्द्र जी, इधर से कुछ बरसने वाले बादल भेजता हूँ.