03 June 2009

पढ़ाई ख़त्म, पहली नौकरी और भी बहुत कुछ पहला ...........

सबको मेरा सलाम,
जल्द आने का वादा किया था मगर देर हो गई मगर उस देर की कुछ वजह है। पहले जैसे दिन अब नही रह गए हैं, जब तक पुणे में पढ़ाई कर रहा था तब तक २४*७ नेट का साथ रहता था मगर जैसे ही पढ़ाई पूरी हुई और नौकरी लगी तो फ़िर सुख के वोदिन भी गए। मई १५, २००९ को वाशी, नवी मुंबई में National Co-operative Agriculture & Rural Development Banks' Federation Ltd. "केंद्रीय सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक महासंघ" में कार्यभार सम्हाला। कुछ दिनों तक तो अतिथि भवन में मजे किए मगर जल्द ही अपना ख़ुद का ठिकाना ढूँढने के लिए भाग दौड़ शुरू कर दी, कुछ मुश्किलों के बाद कामोठे में किराये का एक फ्लैट मिल गया। महीना ख़त्म होते होते पहली तनख्वाह भी मिल गई, जिसे पाकर एक अलग ही आनंद की अनुभूति हुई (जिसे लफ्जों में बयां करना मेरे बस की बात नही).
अरे ..............एक बहुत ज़रूरी बात तो बताना ही भूल गया, गुरु जी से नीरज जी का मोबाइल नम्बर लिया और उनसे बात हुई और मज़ा आ गया, जल्द ही उनसे मिलने भी जाऊंगा।
पिछले तरही मुशायेरे में हिस्सा नही ले पाया मगर इस बार पूरी तैयारी है।
एक नई ग़ज़ल के साथ जल्द ही आपका स्नेह पाने के लिए आऊंगा........................
......................फिर मिलेंगे जल्द ही।

12 comments:

विजय वडनेरे said...

हमारी तरफ़ से वो क्या कहते हैं ना - अंग्रेजी में - विश यू आल द बेस्ट लेते जाईये।

नई नौकरी, व फ़्लैट (भले ही किराये का हो) की बधाईयाँ।

अभिषेक मिश्र said...

Meri or se bhi badhai.

योगेन्द्र मौदगिल said...

ढेर सारी बधाई एवं शुभकामनाएं

वीनस केसरी said...

अंकित
मैंने भी तुमको तरही मुशायरे में मिस किया,
इस बार तो धमाल होने वाला है गुरु जी ने बहर जो इतनी सुन्दर दी है

आपका वीनस केसरी

"अर्श" said...

PRIYA BHAEE ANKIT...
ZINDAGEE KE NAYE RAASTE AUR MUKAAM DONO AAPKO BAHOT BAHOT MUBAARAK HO... KHUB MAZE KARO AUR ZINDAGEE KO ZINDAA DILI SE JIWO... BAHOT BAHOT BADHAAYEE....

TARAHI ME MILTE HAI.. AAPKA BHI INTAZAAR RAHEGAA...

ARSH

गौतम राजऋषि said...

i was missin you buddy...
all the best and congrats for the first pay...i know, how it feels

पंकज सुबीर said...

प्रिय अंकित पहली तनख्‍वाह का आनंद क्‍या होता है वो बताया नहीं जा सकता । मुम्‍बई में जीवन तेज गति का होता है ये मैंने एक साल रह कर जाना । तुमने पोस्‍ट के अंत में अलविदा लिखा है जो ग़लत है। अलविदा का प्रयोग लम्‍बे समय तक या हमेशा के लिये दूर जाते समय किया जाता है ।

Ankit said...

गुरु जी मैंने सुधार कर लिया है, बहुत छोटी मगर बहुत बड़ी गलती थी.

दिगम्बर नासवा said...

अंकित जी........... बधाई हो एक मुकाम हांसिल करने की........... अभी बहुत से और पड़ाव आने हैं आपके जीवन में......... आशा है आप उनसब को ऐसे ही मस्ती में पार करेंगे...........प्रतीक्षा है आपकी अगली पोस्ट की

नीरज गोस्वामी said...

आपसे मिलने का इंतज़ार है...अब तो खोपोली का मौसम भी खुशनुमा हो चला है...पहली तनख्वाह की ख़ुशी में चलिए कभी सेंटर वन में बैठकर इडली मंचूरियन खाते हैं...मजा आ जायेगा.
नीरज

अनिल कान्त said...

badhayi ho

संजीव गौतम said...

भाई अंकित बहुत-बहुत बधाई नौकरी के लिये भी और पहली पगार जिसका अपना अलग ही आनन्द हए के लिये भी. मैं भी सहकारिता विभाग में हूं इसलिये खुशी दोगुनी है. फिर बधाई...