"हड़ताल-एक मौज"
जब काम करने का मन ना कर रहा हो,
काम भी बोझ सा लग रहा हो
तो काम से छुट्टी का सबसे अच्छा बहाना है
ऑफिस में कर दो हड़ताल
कमरों में लगा दो ताला
किसी एक या दो के गले में पहना दो माला
ज़ोर-ज़ोर से नारे लगाओ हम भूख हड़ताल कर रहे हैं
परदे के पीछे सब आराम से पेट भर रहे हैं
अपनी गाड़ी ना हो तो गाड़ियों में आग लगा दो
सड़क पे झूमने का मन करे तो चक्का जाम लगा दो
कितना सुख है इस हड़ताल में
सरकार भी नाममात्र को जुटती है जाँच पड़ताल में
हफ्ते भर के मौज मनाओ
फ़िर एक यूनियन बनाओ
कुछ सरकार की मानो कुछ अपनी मनवाओ
ऐसा सुख कहीं मिलता नही जितना है हड़ताल में
कुछ सरकार की मानो कुछ अपनी मनवाओ
ऐसा सुख कहीं मिलता नही जितना है हड़ताल में
सबकी दुआ है ये आ जाए दो चार बार साल में।
2 comments:
बचपन का कोमल मन ने कितनी कोमलता से यथार्थ को उकेरा था बहोत खूब बहोत बढ़िया लिखा है आपने
very gud yaar...mann ko moh liya...
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