सबका अपना, अपना कहना।
कहते रहना, कहते रहना।
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ये कश्ती ही जाने है बस,
किस जानिब है उसको बहना।
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बात पता ये मुझको ना थी,
बिन तेरे है मुश्किल रहना।
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दिल में जो हैं दर्द पुराने,
वो चाहे बस दिल में रहना।
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सोच यही माँ बेचे जेवर,
मेरे बच्चे मेरा गहना।
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झूठ बड़ा होने से पहले,
लाजिम है फ़िर सच को कहना।
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बाबा ने एक बात सिखाई,
बेटा आगे बढ़ते रहना।
7 comments:
"झूठ बड़ा होने से पहले,लाजिम है फ़िर सच को कहना।.बाबा ने एक बात सिखाई,बेटा आगे बढ़ते रहना।"बड़ी गहराई से लिखी हुई पंक्तियाँ.
बहुत ही अच्छा भाई, काफी अच्छा लगा आपकी कविता पढ़कर, अच्छी सीख दे गये है।
बहुत खूब अंकित.. शानदार कविता..
bahut khub likha ankit bhai.
ALOK SINGH "SAHIL"
सोच यही माँ बेचे जेवर
मेरे बच्चे मेरा गहना
कमाल की रचना....लाजवाब जनाब...लिखते रहिये...
नीरज
आप सभी लोगों का शुक्रिया.
बहुत सुंदर अंकित...वाह
अच्छी बातें अच्छी सीखें
यूं ही गज़लें लिखते रहना
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